ऐ खुशी,
थोड़ा ठहरती तो सही, तूने तो महसूस करने का वक़्त भी न दिया !
तेरे दूर जाते हुए कदमों की आहट सुनाई देने लगी है मुझे ...
तुझे इस बात की खबर तक नही, और हमे रोकने का हक़ भी नही ।
जाना है तो बेफिक्र हो के जा,
मेरी कलम तेरे आगे इस बार कोई सवाल ना खड़ा करेगी !
*** मेरी कलम से - ✍️ शालिनी ***
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