Friday 23 July 2021

खुद को बहुत अच्छे से पहचानती हूँ मैं ,

खुद को बहुत अच्छे से पहचानती हूँ मैं ,

खुद में ही खुश रहना जानती हूं में,

हाँ, लग जाती है नजर कभी-कभी मेरी ही खुद को,

फिर भी आशा का दीप जलाना जानती हूँ मैं !!


*** मेरी कलम से - शालिनी ***

ऐ खुशी, थोड़ा ठहरती तो सही

 ऐ खुशी, 

थोड़ा ठहरती तो सही, तूने तो महसूस करने का वक़्त भी न दिया !

तेरे दूर जाते हुए कदमों की आहट सुनाई देने लगी है मुझे ...

तुझे इस बात की खबर तक नही, और हमे रोकने का हक़ भी नही । 

जाना है तो बेफिक्र हो के जा,

मेरी कलम तेरे आगे इस बार कोई सवाल ना खड़ा करेगी !


*** मेरी कलम से - ✍️ शालिनी ***