Tuesday 16 December 2014

माँ की पाती (पेशावर हत्याकांड)

हे ईशवर, तू तो सच मे सो रहा है  ?
और कुछ न मिला तो अपने पाओं बच्चों के लहू से धो रहा है ?
कहते है, के सब तेरी मर्जी से होता है, क्या इसमे भी तेरी मर्जी थी ?
यदि थी, तो तेरे भी हाथ मासूमों के खून से रंगे हैं ।
मेँ तो तुच्छ हूँ, कोई नहीं होती तेरे अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह उठाने वाली !
पर क्या करू ? वो हर बच्चा मेरा है , इसलिए मुझे जवाब दे के
वो विपदा उन मासूम बच्चों पर किसने डाली ?
मैंने ये भी सुना है के तू बच्चों की जल्दी सुनता है !
पर बता तेरे कान उस वक़्त कहाँ थे ?
जब वो डर से बिलखते मासूम बच्चे अपनी रक्षा का लिए तुझे पुकार रहे थे ?
तू सर्वव्यापी है और कण कण मे निवास करता है
पर आज एक माँ की तरफ से तुझसे सवाल करती हूँ की,
क्या तेरी मौजूदगी हर उस गोली मे थी ?
जो उन मासूम बच्चों को छलनी कर गयी ?
मैं ये कैसे मान लूँ के आप इंसान के अंदर निवास करते हो?
यदि करते, तो उस दहशत के समय, आप क्या आतंकवादीयों के अंदर से,
अपना निवास छोड़ भ्रमण पर निकल गए थे ?
तू मुझे बहुत प्यारा है इसलिए लोगो का तुझ पर से विश्वास उठ्ते नही देख सकती !
रहम कर, और मेरी इस कलम को तेरे खिलाफ चलने से रोक ले मालिक  !!
क्यूंकि, मेरा प्रश्न न किसी मीडिया से है , न किसी देश से और न ही किसी नेता से ,
क्यूंकि हम सब तो तेरे बनाए हुए पुतले हैं, और ये दुनिया तेरी ही बनाई हुई है !
हे ईश्वर, मे तुझसे स्वरचित प्रार्थना कर रही हूँ !
और हर उस मसून की माँ की तरफ से तेरे प्रति अपनी आस्था पर वार कर रही हूँ !!
उठ, अब तो जाग, देख इंसानियत अपनी हदें पार कर चुकी है !
कितने बच्चों की साँसे तेरी अनदेखी के कारण रुकी हैं !!
सवाल अब बड़ों का नहीं और न ही सरहदों का है ,
किन्तु सवाल उन मासूम बच्चों का है,
क्यूंकि, मैंने ये भी सुना है, के बच्चे ईश्वर का ही रूप होते हैं !
इसलिए जवाब दे वो गोलियां तुझे लगी ? या उन मासूम बच्चों को ?


स्वरचित