Tuesday 25 August 2015

बार बार कुछ लिख कर मिटाता हूँ, तुम्हें याद करता हूँ, फिर भुलाता हूँ !!


Teri Baatien meri jubani ........


बार बार कुछ लिख कर मिटाता हूँ,

तुम्हें याद करता हूँ, फिर भुलाता हूँ !!



तेरी महक ऐसी रमी है मेरी साँसों में,

के में पागल, फिर से उन्ही यादों को बुलाता हूँ !

तेरे बारे मे सोचने से खुद को ना रोक पाता हूँ !!



बार बार कुछ लिख कर मिटाता हूँ,

तुम्हें याद करता हूँ, फिर भुलाता हूँ !!



कुछ ही लम्हों मे, जीवन के रस्तों पर तूने ऐसी छाप छोड़ि है,

की चुनता हूँ जिस भी राह को मे, वहाँ तेरे कदमों की छाप को पाता हूँ !

उन रस्तों पर बेवजह तेरे साथ चलना चाहता हूँ !!



बार बार कुछ लिख कर मिटाता हूँ,

तुम्हें याद करता हूँ, फिर भुलाता हूँ !!



बना दिया है मुझको समय ने ऐसा वरना,

बाहर से जितना पत्थर हूँ, अंदर से उतना ही मोम बन पिघल जाता हूँ !

खुश दिखती हैं जो मेरी आँखें, तन्हाइ मे उनको रोने से ना रोक पाता हूँ !!



बार बार कुछ लिख कर मिटाता हूँ,

तुम्हें याद करता हूँ, फिर भुलाता हूँ !!



कोई नहीं जो समझे,

बस यही सोच कर खुद को समझता हूँ !

तेरी यादों की कलम को चलाने मे खुद को असफल पाता हूँ !!



बार बार कुछ लिख कर मिटाता हूँ,

तुम्हें याद करता हूँ, फिर भुलाता हूँ !!