Friday 26 October 2012

अनकही

इस दुनिया की भीड़ मे खुद को अकेला पाती हूँ !
कहने को है बहुत कुछ, पर कुछ ना कह पाती हूँ !!
सभी अपने स्वार्थ से ग्रस्त हैं ...
मेरा सारा जीवन अस्त व्यस्त है....
एक माँ बाप का साथ है , जो ना जाने कब छूट जाएगा !
एक अधूरा सा रिश्ता है , एक दिन वो भी टूट जाएगा !!

*****स्वरचित******