Tuesday 29 September 2015

नयी खुशियाँ मुबारक तुम्हें



नयी खुशियाँ मुबारक तुम्हें, मुबारक हो नए दिन और रात !
जहां कली खिली हो नयी-नयी, वहाँ ना करना मुरझाए फूल की बात !!

- देने-लेने को लेकर, न होगी फिर अब कोई बात !
  उम्मीद है इस बार दहेज बनेगा लक्ष्मी की सौगात !!

नयी खुशियाँ मुबारक तुम्हें, मुबारक हो नए दिन और रात !
जहां कली खिली हो नयी-नयी, वहाँ ना करना मुरझाए फूल की बात !!

- उम्मीद है इस बार न होगी मम्मी-मम्मी करके बात !
  बाहर निकलोगे गोदी से, टूटे होंगे दूध के दाँत !!

नयी खुशियाँ मुबारक तुम्हें, मुबारक हो नए दिन और रात !
जहां कली खिली हो नयी-नयी, वहाँ ना करना मुरझाए फूल की बात !!

- मेरे ही लिए थे तुम्हारे घर मे सारे दक़ियानूसी रिवाज !
  इस बार न होगा बेटी और बहू को लेकर वाद-विवाद !!

नयी खुशियाँ मुबारक तुम्हें, मुबारक हो नए दिन और रात !
जहां कली खिली हो नयी-नयी, वहाँ ना करना मुरझाए फूल की बात !!

- ना-पसंद थी उनको में, तुमने भी न समझे हालात !
  बीवी-बच्चे को ठुकराकर कर दी मर्दों वाली बात !!

नयी खुशियाँ मुबारक तुम्हें, मुबारक हो नए दिन और रात !
जहां कली खिली हो नयी-नयी, वहाँ ना करना मुरझाए फूल की बात !!

- तुम खुश हो यह जान गयी मैं, मान गयी अब सारी बात !
  अपनों की लाशों के ऊपर करोगे नए घर की­­ शुरुवात !!

नयी खुशियाँ मुबारक तुम्हें, मुबारक हो नए दिन और रात !
जहां कली खिली हो नयी-नयी, वहाँ ना करना मुरझाए फूल की बात !!

***स्वरचित***