Sunday 20 December 2015

थोड़ा चैन लूं


कसक जो तेरे नाम की अब भी इस दिल मे है,
वो चली जाए तो थोड़ा चैन लूँ ।

गुजरते वक़्त के साथ जो हैवानियत तुझमे आ गयी है,
उसमे मासूमियत आए तो थोड़ा चैन लूँ ।

गर्व था मुझे कि ना भटकोगे किसी और के गलियारे मे तुम,
फिर से मेरी गली पकड़ो तो थोड़ा चैन लूँ ।

छल, फरेब, और झूठ से जिये हो अब तक,
एक बार प्यार भरी वफादारी दिखाओ तो थोड़ा चैन लूँ ।

दिलों से खेलने कि तुम्हें आदत सी हो गयी है,
किसी को दिल से अपनाओ तो थोड़ा चैन लूँ ।

हर बार मेरी आँखों को तुमने आँसू दिये है,
मेरे होंठों पर मुस्कान लेकर आओ तो थोड़ा चैन लूँ ।

आईना भी मेरी बिंदिया पर हँसता है, बोलता है &
कि अपने नाम कि ये बिंदिया तो वो किसी और को दे चुका है,  
मेरे सूने माथे पे वो बिंदिया सजाये तो थोड़ा चैन लूँ ।

सत्य से वाकिफ हूँ, कि सब कल्पना मात्र है,
यही कल्पनाएँ सत्य मे बदल जाएँ तो थोड़ा चैन लूँ ।

मेरी कलम पर ना जाना तुम, ये मदमस्त कुछ भी लिखती है,
बस इसकी स्याही सूख जाए तो थोड़ा चैन लूँ ।


स्वरचित

Thursday 17 December 2015

प्रतीक्षारत हो मेरे इंतजार में



प्रतीक्षारत हो मेरे इंतजार में, के कुछ अल्फाज तुम्हे में लिख कर भेजूंगी ।
या परीक्षा ले रहे हो मेरी, अपने जेहन में कोई प्रश्न लेकर ?
व्यस्त हो तुम अपने परिवार में, कारण यही है ।
वरन् तुम्हारा भी यूँ इस तरह इम्तिहान लेना,
जिंदगी के किसी इम्तिहान से कम तो नही ।        
               
****स्वरचित*****