आहट भी नहीं होती तेरे गुजर जाने की,
देखते ही देखते हाथों से रेत की तरह फिसल जाता है,
कभी हँसाता, कभी रुलाता है,
ऐ-वक्त तू बड़ा सताता है---
सोचती हूँ कल ही की तो बात थी,
अचानक से वही कल यादों मे बदल जाता है,
मुझे वो गुजरा लम्हा बड़ा याद आता है,
ऐ-वक्त तू बड़ा सताता है---
तू अच्छा तो हर कोई मुझे अपना बताता है,
तू बुरा तो वही अपना पल मे बदल जाता है,
तू ही तो रिश्तों की पहचान करवाता है,
ऐ-वक्त तू बड़ा सताता है---
यहाँ तो चाँद और सूरज भी तेरी गति से चलते है,
तेरी ही मर्जी से उजियारे अँधेरों से आ मिलते हैं,
ना जाने कब जिंदगी की हकीकत बन जाता है,
ऐ-वक्त तू बड़ा सताता है---
**स्वरचित**