Thursday 25 June 2015

ऐ-वक्त तू बड़ा सताता है !



आहट भी नहीं होती तेरे गुजर जाने की,
देखते ही देखते हाथों से रेत की तरह फिसल जाता है,
कभी हँसाता, कभी रुलाता है,
ऐ-वक्त तू बड़ा सताता है---

सोचती हूँ कल ही की तो बात थी,
अचानक से वही कल यादों मे बदल जाता है,
मुझे वो गुजरा लम्हा बड़ा याद आता है,
ऐ-वक्त तू बड़ा सताता है---

तू अच्छा तो हर कोई मुझे अपना बताता है,
तू बुरा तो वही अपना पल मे बदल जाता है,
तू ही तो रिश्तों की पहचान करवाता है,
ऐ-वक्त तू बड़ा सताता है---

यहाँ तो चाँद और सूरज भी तेरी गति से चलते है,
तेरी ही मर्जी से उजियारे अँधेरों से आ मिलते हैं,
ना जाने कब जिंदगी की हकीकत बन जाता है,
ऐ-वक्त तू बड़ा सताता है---

**स्वरचित**

Saturday 20 June 2015

मेरा जन्मदिन

एक मनचली अपने जन्मदिन की तैयारी बड़े चाव से किया करती थी ।

ये करूंगी, वो करूंगी, ये पहनुंगी, वो पहनुंगी कहकर अपनी बात मनवाया करती थी ॥

जन्मदिन की योजनाएँ आँखों मे लिए भावनाओं की उड़ानें भरा करती थी ।

हर वर्ष नई उम्र की ओर अपने कदमों बढ़ाकर खूबसूरत सपने बुना करती थी ॥

जैसे जन्मदिन ना हुआ कोई त्योहार हो

बस इस एक दिन के आने का पूरे साल इंतजार किया करती थी ॥

कोई जन्मदिन की बधाई दे या न दे, पर वो मनचली-

अपने पैदा होने की बधाई सबसे पहले खुद को ही दिया करती थी ॥

एक मनचली, अपने जन्मदिन की तैयारी बड़े चाव से किया करती थी ........

आज फिर जन्मदिन आया है-

पर अब वो बात नहीं जो पहले हुआ करती थी ।

वो मनचली जन्मदिन जन्मदिन किया करती थी ॥

मर गया वो मन जिसमे वो जज़्बात लिए किया फिरती थी ।

ना रही वो ख्वाहिशें जिनके पंख लगाए आँगन मे उड़ा करती थी ॥

ना रही वो आंखे जिनसे वो सपने बुना करती थी

ऐ जन्मदिन  - तू अब लौट के ना आना,

क्यूंकी में अब वो नहीं जो तेरा इंतजार किया करती थी ।।

एक मनचली, अपने जन्मदिन की तैयारी  बड़े चाव से किया करती थी ........

**स्वरचित**