Sunday 4 January 2015

अनकही

कितनी रातें बीत गयी, कितने लम्हे गुजर गए। 
मगर फिर भी..........
जो बेकरारी कल थी, वो बेकरारी आज भी है ।।
समय के भंवर में बह गए रिश्ते।
मगर फिर भी.........
मुझे तुम से प्यार कल भी था, मुझे तुम से प्यार आज भी है ।।
तेरी तनहा यादें मेरे आंसू बन गए ।
मगर फिर भी..........
जो आँखें कल भी नम थी, उन आँखों में नमी आज भी है ।।
मेरे खुदा ! उम्मीद थी की तू आकर मुझे किनारा देगा ।
मगर फिर भी......... 
मुझे तेरा इंतज़ार कल भी था, मुझे तेरा इंतज़ार आज भी है ।।

***स्वरचित****

Thursday 1 January 2015

नया साल

साल दर साल गुजरता गया, ख़ुशी के इंतज़ार में !
आज फिर नया साल आया है, ख़ुशी के इंतज़ार में !!

*स्वरचित*