खुद को बहुत अच्छे से पहचानती हूँ मैं ,
खुद में ही खुश रहना जानती हूं में,
हाँ, लग जाती है नजर कभी-कभी मेरी ही खुद को,
फिर भी आशा का दीप जलाना जानती हूँ मैं !!
*** मेरी कलम से - शालिनी ***
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